भाव :: हमारे भाव हर समय कुछ न कुछ बन रहे है उन भाव का शोधन बहुत ही आवश्यक है ।
भाव सिद्ध से हमारी राह बनती है ।
भाव सिद्ध से ब्रह्मा गाय हो गए , मरत्यु नहीं हुई जीवित रहते हुए देह बदल गयी ।
संतो ने अपने भाव मालिक से बदलबा लिए ।
भाव मे जितनी अधिक तड़प होगी मालिक के चरनो के लिये उतनी शीघ्रता से सिद्ध मालिक कर देते है
हमारे सच्चे भाव मालिक से छुपे नहीं है बे दाता मालिक इतने दया के भंडार है कि हमारे ग़लत भाव जब बनत है तो संकेत देते है परनतु हम अनसुना कर कष्ट पाते है ।
हम अपने भाव मालिक को सौंप दे कि दाता आप सम्हाल कर दो , हम अनजान है हमारी सच्चे भाव और अरदास को मालिक दाता लख लेंगे और सुचेती ब चेतना दे देगे जिससे हमारे भाव शुद्ध ब सच्चे हो सके ।
भाव मे मालिक अपना ज्ञान धयान सौंप देते हे जिससे खिमा और खिमत दया हर समय दाता ठहरा देते है