यह अगम पथ अध्यातमिक ब सूक्ष्म मार्ग है । इस मार्ग का आनन्द प्राप्त के लिये हमको संगत को ब किसी साध को बड़ा मानना होगा । जब हम किसी को बड़ा मानेंगे तभी हम छोटे होगे ।
संगत कौ बड़ा कर जानै ।
अपन छोट कहाबै ।।
बह पद दूँ दास अपने कौ ।
ब्रह्मा बिशन नहीं पाबै ।।
नानक जी की कहन -
।। मै तौ दासन का दासा ।।