सतनाम सतनाम
सत सत कहियै जाय विध राखै गुरू ताय विध रहियै
धन्य हो दाता आपनै अपार सुख दै है
हर प्राणी की मै मेट कै आप के चरणन मै चित्त लगाय देऔ
मालिक सबको भलो करियौ मालिक सबके गुनाह माफ़ करियौ
मालिक सबकौ अपने चरणो मे स्थान दियौ
एक विचार-:
वह दिन कभी ना आये, जब हद से ज्यादा अभिमान हो जाये...बस इतना ही नीचे रखना मेरे मालिक मुझको कि..हर दिल दुआ देने को मजबूर हो जाये..!!
सत सत कहियै जाय विध राखै गुरू ताय विध रहियै
धन्य हो दाता आपनै अपार सुख दै है
हर प्राणी की मै मेट कै आप के चरणन मै चित्त लगाय देऔ
मालिक सबको भलो करियौ मालिक सबके गुनाह माफ़ करियौ
मालिक सबकौ अपने चरणो मे स्थान दियौ
एक विचार-:
वह दिन कभी ना आये, जब हद से ज्यादा अभिमान हो जाये...बस इतना ही नीचे रखना मेरे मालिक मुझको कि..हर दिल दुआ देने को मजबूर हो जाये..!!