।।बदां अपने धनी नै धाव जिन थारी देह धरी ।।
यह मनुष्य देह हमको हमारे मालिक का बहुत बड़ा उपकार है । मौक़ा मालिक ने दिया है कि हम उनकी चीज़ ईमानदारी रखते हुये मालिक के जोग को समझते हुए मालिक से जोग लगाने के लिये उपाय करे तो जब हम उपाय करेगे तो आप धनी करन जोग करनी सौंप देते है और हर पल मदद भी करते है जिसको करने से मालिक दयालु अपना निज ज्ञान सौंप देते है और उबार लेते है ।
शब्द परख मन राखौ धीर । बाँह जो पकडै दास कबीर ।।
|| सतनाम ||
यह मनुष्य देह हमको हमारे मालिक का बहुत बड़ा उपकार है । मौक़ा मालिक ने दिया है कि हम उनकी चीज़ ईमानदारी रखते हुये मालिक के जोग को समझते हुए मालिक से जोग लगाने के लिये उपाय करे तो जब हम उपाय करेगे तो आप धनी करन जोग करनी सौंप देते है और हर पल मदद भी करते है जिसको करने से मालिक दयालु अपना निज ज्ञान सौंप देते है और उबार लेते है ।
शब्द परख मन राखौ धीर । बाँह जो पकडै दास कबीर ।।
|| सतनाम ||