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कल व्यासदेव साध ने जिकर करे कि हम संसार में और के पीछे भाग रहे उससे क्या मिला और चिंता और फिक्र और लालच और मोह माया ममता इससे कारज नही बनने मालिक से उनके घर की वस्तु तीव्र चाह से मागेगे जि स लिये यह वृहम बनाया तभी आना सार्थक होगा वरना यह जीवन व्यर्थ जायेगा