पूनों वाले दिन इन बातों का ख्याल रखैं:-
1. जुगत बनाते समय और टहल के समय सिर पर पगड़ी या साफा बांधें।
2. सफेद कपड़े पहनै।
3. माफक दोनों हाथों से बिलिया पकड़ कर सुपवाएं।
4. प्रसाद मात्रा पढ कर पावैं।
5. प्रसाद बहुत अदब और गरीबी के साथ पावैं।
6. प्रसाद पाते समय कोशिश करैं कि ध्यान न भटकै, उंगली होंठ में न छुये, मूँह बन्द कर कै पावैं। 7. चद्दर बिछने के बाद से चद्दर उठने तक मौन रहैं और सुरत बाबा जी के चरनों मैं रखैं।
8. प्रसाद पाने के बाद मात्रा पढैं।
9.पानी र्सिफ चद्दर उठने के बाद लें।
10.बिलिया को अच्छे से साफ करैं।
पूनों की विधी गत मुक्त के वास्ते है। पूनों का मकसद संगत का भेले होना, ग्यान के जिकर होना और महाप्रसाद का काम होने का है। हमें पूरी तैय्यारी के साथ पूनों में शामिल होने की कोशिश करनी चाहिए। इसकी तैय्यारी एक दिन पहले शुरु करने की कोशिश करनी चाहिए। एक उमंग जगाओ और उस उमंग के साथ अमृत बाणी भाग एक से र्पूणमासी का विचार पूरे परीवार के साथ पढने की कोशिश करनी चाहिए। मालिक दाता तो उस उमंग को देखकर उन सब प्रानियों पर ज्यादा मेहर करते हैं। पूनों का काम समाप्त होने तक जुबान पर कबजा, विचारों में शान्ती और सुरत बाबा जी के चरणों में रखने की कोशिश करनी चाहिए। मालिक सब पै मेहर करैं।
सतनाम
साध समाज