सत अबगत नाम जप कर क्या हमको ग़ुस्सा आना चाहिये ??? नही आना चाहिये यदि आता है तो हमारे नाम जपने मे भारी कमी है ।
सत जप परघट कर भाई ग्यान ।।
सत का ग्यान मालिक के पास है बह पल मे देते है । उस सत के अनुभव द्वारा जानने से हमारा ग़ुस्सा शांत होगी ।
गरब गुसा अहंकार बिडारा ।
सत के शब्दा जी मारा ।।
सत अबगत नाम अमरत से भरा हुआ है उस नाम को हम ऐसे जपे जिससे बह हमारे मन मे स्थापित हो जाये।
मन मे अहंकार भरा है उस मन मे नाम कैसे ठहरेगा ?? मन को बहुत समझाना पडेँगा एकान्त मे बहुत प्रार्थना करनी होगी
मन समझाए मिटै मबासा
उन्हे निबाजै उदा जी के दासा
अजर बसत तुम जिरौ समझ
कै कहे सुने मत दूखौ
यदि चलेंगे नही तो कही भी नही पहुँचेंगे ,
यदि चलेंगे नही तो कही भी नही पहुँचेंगे ,
बहुत रस हमने चाखा , क्या हमारा जीबन उस परम सुख , अद्भुत , अलौकिक अबरणनीय रस को अनुंभव किये बग़ैर ही समाप्त न हो जाए ????? सोचे
बंदगी करन कौ ब्रह्म बनाया ।
नतीजा - जन्म - मरन का कष्ट ,
यदि लक्ष्य की ओर हम बढ़ेंगे तो हमारा एक एक क़दम भी गिनती होगा ब हमारी मंज़िल क़रीब आयगी
बंदगी करै नफ़ा बहुतेरा
दुनिया मे कमाया हुआ सब कुछ समाप्त होने का भय रहता है
परन्तु बंदगी से कमाया धन ( संतोष )
कभी भी कम नही होता अपितु बह बढ़ता ही जाता है
काल सिर ऊपरा सेल साधे खड़ा हाथ लिय फन्द निस दिन निहारै,ऐसा तौ और कोई सुझता है नही अन्त की बार जम उबारै..
सतनाम