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आज के समय मे जो हमको सुख लग रहे है

सत सुमरन सै जी तिरिये ।
साधौ सत सुमरन सै जी तिरिये ।।
सत की भगत बिना हो प्रानी जन्म जन्म दुख भरिये।।

आज के समय मे  जो हमको सुख लग रहे है और हम गरब से फूले नही समा रहे यह सब धोखा है ।समय हमारे उपर निरन्तर बार कर रहा है और हम कुछ समय बाद उसका ग्रास बन ज़ायगे और मरत्यु को प्राप्त होगे
जो समय अब बचा है हम मालिक से यह माँग सकते है कम से कम यह जीबन हमारा अधूरा न निकल जाए और मालिक अपना बह अभूतपूर्व आनन्द प्रेम की एक झलक एक अनुभव तक हमको दे दो

यदि हमें जन्मों जन्मों के दुख से छुटकारा पाना है तो अपने मालिक की शरन मे जाना होगा ब मालिक के प्रेम की आस मालिक से करनी होगी 

धोखे मे जग पचमुआ ।
नही पाया थिथ ग्यान ।।
सतगुर शब्द सुनाइया ।
बहरा सुनै नै कान