Pages

हमें सब को मालिक के चरनो में


























बाबा जी के चरनो की बलिहारी उदाकेदास जी के चरनो की बलिहारी   हमें सब को मालिक के चरनो में अपने बल यानी अपना सब कुछ सोपना होगा तभी कुछ कारज बनेंगे हे मालिक जो है सब तेरा है यह शरीर भी मेरा नहीं जो संसारिक काम भी करें उनकी यादगारी में करें हम और मैं को भूलना होगा छोटी बुद्धि  है जो मन में विचार आया लिख दिया संगत सुमार करे
सतनाम