बहुत जोग बात है समझने के लिये
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आप की करपा
दाता अवगत एक ।।
दिलौ के मालिक जे बानक सब तेरे ।।
दाता हर पल प्रत्येक क्षण सम्पूर्ण सरषटि पर किसी न किसी रूप मे सभी को दे रहे है।
बह हर पल स्वाँस देकर हमको ज़ीबित रखे हुये है ब हमारी पल पल की रक्षा सुरक्षा कवच बनाकर करते है बग़ैर आपकी करपा से हम एक पल भी इस मृत्युलोक में रह नहीं सकते है
बह दाता अपनी बनाई हर प्रति को दया से सींच रहे ब अदृश्य हाथो से पाल रहै है
मन इस करपा पर ग़ौर कर - अवगत सा और दूजा न कोई
बह प्रतिपाल सकल सै न्यारा ।
यदि हम सच्चे भाव से आपकी करपा महसूस करने की माँग करे दाता अवश्य देंगे और उसी से हमारा बिराट अहं का क़िला गिरेगा
बंदगी के बिना हम मिरतक के समान हैं इस संसार में मालिक ने हमें बंदगी के लिए भेजा और हम कर क्या रहे हैं विचार कर देखें हमें आवाआवागमन से मुक्ति पाने के लिए यह जनम मिला इसे हम यैसे ही न जाने दें और अपने मैं को त्याग कर सब कुछ मालिक को सोप दे बन्दगी के लिए विरहम बनाया संसार की चकाचौंध मे हम इस शरीर को सब कुछ समझ रहे अभी समय चेतो तब चेतो महावरा नहीँ है संगत समार करे
सतनाम